बज्जर कैसा ह्र्दय करकै / मेहर सिंह
बज्जर कैसा ह्र्दय करकै पकड़ काळजा थाम लिए
रणभूमि म्हं जां सूं गोरी मेरी राम राम लिए
देश प्रेम की आग बुरी मनैं पड़ै जरूरी जाणा
घर बैठे ना काम चलै मनैं जाकै देश बचाणा
तेरी नणद का भाई चाल्या पहर केसरी बाणा
मरणा जीणा देश की खातर यो मनैं फर्ज निभाया
रखणी होगी लाज वतन की प्यारी रट घनश्याम लिए
सिर फोड़ूं और फुड़वा ल्यूंगा दुशमन गेल्यां भिड़कै
बेशक जान चली जा गोरी ना शीश समझता धड़ पै
दो बट आली रफल कै आगै खड़या रहूंगा अड़कै
रहया जींवता तो फेर मिलूंगा चाल्या आज बिछड़कै
कर कै याद पति नै गौरी मत रोवण का नाम लिए
सीना ताण देश की खातिर जो हंस हंस प्राण गंवादें
सीधा रोड सुरण का मिलज्या सच्चा धाम दिखा दे
के जीणा सै जग म्हं उनका जो मां का दूध लजा दें
धन धन सै वैं लाल देश पै जो अपणा खून बहा दें
तन मन धन सब इसकै हाजर सुण पैगाम लिए
कहै “मेहर सिंह” सब जाणैं सैं अकलमंद घणी स्याणी
पतिरूप परमेश्वर हो सै या वेदां की बाणी
दुश्मन का दिया घटा मान थी चूडावत छत्राणी
देश की खातर कटा दिया सिर थी झांसी की राणी
कर कर याद कहाणी मतकर दिल नै कती मुलायम लिये