भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बडभाग सुहाग भरी पिय सों / लाल कवि

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बडभाग सुहाग भरी पिय सों, लहि फागु में रागन गायो करै।
कवि 'लाल' गुलाल की धूँधर में, चख चंचल चारु चलायो करै॥
उझकै झिझकै झहराय झुकै, सखि-मंडल को मन भायो करै।
छतियाँ पर रंग परे ते तिया, रति रंग ते रंग सवायो करै॥