बड़ा कवि / हरप्रीत कौर
एक
बड़े कवि के पास
बड़ा क्या होता है
सोच रही हूँ
एक बड़े कवि को देख कर
जिसकी एक भी कविता बड़ी नहीं है
दो
बड़े कवि की कविता
कितनी बड़ी होती है
कविता बड़ी हो कर
दिखती कैसी है
बड़े कवि को
जो होता ही जाता है बड़ा
कविता के ही साथ-साथ
तीन
बड़े कवि की छत पर
मँडराता रहता है संकट
उससे भी बड़ा पैदा हो सकता है कवि
संकट के तहत लिखता जाता है कविता
कविता छोटी होती जाती है
कवि बना रहना चाहता है बड़ा
चार
छोटे कवियों के पास
बड़े कवियों के पते होते हैं
जिन पर भेज देते हैं वो
अपनी कोई कविता
डरते-डरते
बड़े कवि कभी नहीं भेजते
अपनी कोई कविता छोटे कवि को
उनके पास तो पते भी नहीं होते
बड़े कवि आखिर बड़े होते हैं न
पाँच
मुझसे प्रेम करोगी
फिर से लिखनी है एक बड़ी कविता
कहा एक बड़े कवि ने
यह भी कहा
‘बड़े कवियों के पास तो होने ही चाहिए
एकाधिक प्रेम’
इसी बीच
पत्नी रख गई मेज पर पाँचवी चाय
सोचते हुए
‘बड़े कवि तो पीते ही हैं एकाधिक चाय
सब कुछ एकाधिक ही चाहिए
एक बड़े कवि को
छः
भ्रम में है
बड़ा कवि
कि
वह बड़ा है
भ्रम से बाहर है
छोटा कवि
शुक्रिया
उन पत्रिकाओं
उन आलोचकों का
जिन्होंने उसे
बड़ा सिद्ध नहीं किया
सात
हवाई जहाज से
आ रहा है
बड़ा कवि
बड़े कवि को सुनने आएँगे
बड़े लोग
ऐरा-गैरा कैसे घुसेगा हॉल में
छोटे लोगों के लिए नहीं है कविता
बड़ा कवि आखिर बड़ा आदमी भी तो है न
आठ
उत्सवों पर
नहीं लिखता
बड़ा कवि
कोई कविता
इसलिए
कभी-कभी
छप जाता है अपवाद स्वरूप
कोई छोटा कवि किसी बड़ी पत्रिका में
दिवाली विशेषांक के
किसी एक पृष्ठ पर
नौ
एक शर्त के तहत
लिखने बैठा है कविता
गुजरात पर
आ नहीं रही कविता
कवि बड़ा हो गया है
गुजरात छोटा लग रहा है
उसे!
दस
एक बड़े कवि का परिचय
विदेश यात्राएँ .........
पुरस्कार .......
पुस्तक भूमिका ........
कविता पाठ .........
पूछो
पूछो उसे
अब तो पूछो
उसकी कविता में कितनी है कविता
ग्यारह
दो और दो = चार
का गणित करता है काम
एक बार सिद्ध हो जाने पर बड़ा
जीवन भर बड़ा ही बना रहता है
बड़ा कवि ......
बारह
छोटे कवि पर भी
लिखी जा सकती है
कविता
जिसे
बड़ा कवि
कभी नहीं लिखता