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बड़ा नीक लागऽ तारें भोला के बदनवाँ रे सखिया / महेन्द्र मिश्र
Kavita Kosh से
बड़ा नीक लागऽ तारें भोला के बदनवाँ रे सखिया।
कइसन बाजता बजनवाँ रे सखिया।
आजु के ई शुभ दिन पंचमी लगनवाँ रे सखिया।
कइसन जुटल बा लगनवाँ रे सखिया।
नारद बाबा के गउरा भइली दुसमनवाँ रे सखिया।
कइसे बसिहें भवनवाँ सख्यिा।
खोली के भूषण देखे सभ अभरनवाँ रे सखिया।
ताग पाट बा ढोलनवाँ रे सखिया।
कहत महेन्दर कऽ लऽ भोला दरसनवाऽ रे सखिया।
गावे इहो कीरतनवाँ रे सखिया।