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बड़ी खूबसूरत कला ज़िन्दगी है / कैलाश झा 'किंकर'

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बड़ी खूबसूरत कला ज़िन्दगी है
न कहना कभी बेवफा ज़िन्दगी है।

मुहब्बत के मौसम में खिलती कली-सी
दिखाती मनोहर अदा ज़िन्दगी है।

बताना है मुश्किल यही कह सकूँगा
समझ से परे फ़लसफ़ा ज़िन्दगी है।

न किरदार में हो कोई खोट हज़रत
फिसलते ही बनती सज़ा ज़िन्दगी है।

मुसलसल नज़र से गिरेगी यकीनन
अगर कोई करती ख़ता ज़िन्दगी है।