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बड़ी ग़ज़ल तो कहो पर सरल ज़बान रहे / डी .एम. मिश्र

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बड़ी ग़ज़ल तो कहो पर सरल ज़बान रहे
सर उठाओ तो हथेली पे आसमान रहे

हज़ार मुश्किलें भी ज़िंदगी में आयेंगी
दुआ करो कि ख़ुदा हम पे मेहरबान रहे

न तो दौलत की तमन्ना मुझे न शोहरत की
ज़िन्दगी में जो कमाया है वो ईमान रहे

ख़ु़दा से माँगना हो कुछ तो यही मागूँगा
क़ब्र में जा के भी ज़िंदा मेरा इन्सान रहे

सिवा तुम्हारे और किसको ये जिम्मा सौंपू
मेरे जाने के बाद भी मेरा दीवान रहे