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बड़ी जोर को सखी ऊ नचैय्या / सपना मांगलिक

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बड़ी जोर को सखी ऊ नचैय्या
मैं करूँ ता ता थैया बिरज में
कभी छल से कभी अपने बल से
कभी इतते कभी घेरे उतते
डारे होरी को ऐसो फगैय्या
मोरे पीछे पड़ो रे ततैय्या
मैं करूँ ता ता थैय्या बिरज में
बदरी सो सखी कारो कारो
प्रेम पगी मोपे नजर ऊ डारो
कपटी नैनन को तीर चलैय्या
पकडे धोखे से मोरी कलैय्या
मैं करूँ ता ता थैय्या बिरज में
लाज शर्म वाय कछु ही ना आवे
गोपियन संग ऊ तो रास रचावे
डारे ऐसी उनके गलबहियां
मारे शर्म के मैं मर जईंयां
मैं करूँ ता ता थैय्या बिरज में
तन रोके और मन ललचावे
मोरे ह्रदय ऐसी प्रीत जगावे
बसे मनवा सखी मन बसैय्या
कैसे कहूँ री ऊ मेरो सैंय्या
मैं करूँ ता ता थैय्या बिरज में
बड़ी जोर को सखी ऊ नचैय्या
मैं करूँ ता ता थैय्या बिरज में