बड़ी दिनोॅ पे गेलियै दिल्ली / कनक लाल चौधरी ‘कणीक’
मोह-ममता केॅ जोड़ै खातिर,
असकल्लोॅ पन तोड़ै खातिर
फगुआ के पनरैहाँ पैन्हें
बड़ी दिनोॅ पेॅ गेलियै दिल्ली
सौसरारी के कामें अैलै छोटका बेटा आरो पुतोॅ हू
भैइहौॅ वही समय में जुटलै हुनी कहलकै दिल्ली जाहू
पत्नी-बेटा-पूतहू बोलली साथ चलै लेॅ होलां नरम
नै जाय के संकल्पो-टुटलै मनोॅ में लागलै बड्डी शरम
चौबीस घन्टा छुक-छुक सुनतें कान के परदा फाटेॅ लागलै
देह समूचे अकड़ी गेलै नोचनीं देहोॅ केॅ काटेॅ लागलै
चार साल पैन्हें जे गेलियै तखनी है रङ भीड़ नै छेलै
आरक्षित डिब्बा में तखनी चिड्डी नांकी नीड़ नैं छेलै
रेल उतरथैं टेम्पो भेटलै इस्कूटर जे वहाँ कहावै
पत्नी आरो पुतहुवें दोन्हूं हमर्है साथें जग्घोॅ पावै
छोटका बेटां आगू बैठी डेरा के रस्ता बतलावै
कुछुवे दूरी रस्ता नापी लालबत्ती पेॅ झट सें आवै
सैंसे रस्ता रूकी-रूकी केॅ इस्कूटरबा बढ़लोॅ आबै
मोटर-कार-तिपहिया लधलोॅ बिल-बिल करने लोग देखावै
चौबीस घन्टा केरोॅ थकौनी डेरा अैथै गेलै हेराय
जेन्हैं पुतहुवें जलखै देलकी साथें-साथें देलकी चाय
छोटका कन पहुंचै के बतिया बड़कां-मंझलां जबेॅ सुनलकै
एकांएकीं पत्नी साथें आबी-आबी कुशल पुछलकै
हहां-हिहीं के बतबनरी में
हमरे बात बनैलकै खिल्ली
फगुआ के रङगोॅ के पैन्हें, एम.सी.डी. के छेलै चुनाव
सगरोॅ बाजै ढोल-नगाड़ा, सभ्भैं खोजै आपनोॅ दाव
गल्ली-गल्लीं-कोन्टा-कोन्टां, पाटी के लोगवा छितरैलै
आपनोॅ आपनोॅ चेन्होॅ लैकेॅ, घरा-घरी सब घूमेॅ लागलै
नगर निगम पेॅ कब्जा लेली, अटलें-सोनियाँ जान लड़ैलकै
बाँकी पाटीं घुरी-घुरी केॅ, भोट खिंचै लेॅ जोर लगैलकै
कान पकाय दै गरज घोंक में, लोक-रिझावन करै ऊपाय
बच्चा-बुतरू ढोलोॅ के पीछू, सड़क्हैं-सड़क्हैं दौड़लोॅ जाय
गल्लां घंटी बान्है खातिर
कौनेॅ कब्जा करतै बिल्ली
सभ्भैं मिली केॅ ‘प्लान’ बनैलकै, एक्के मंच बनैलोॅ गेलै
वार्ड-वार्ड से लोग जुटाय केॅ, भोटोॅ के घोंट पिलैलोॅ गेलै
मंच एक्के आरो पाटी ढेरी, सब नेता केॅ जग्घो भेटलै
पनरोॅ मिनट हर पाटी केॅ बोलै बास्तें मौका मिललै
कमल पुष्प लै अटल जी अैलात, पंजा लेने सोनियाँ रानी
मायावती, मोलायम अैलै, जुटलै लालू अग्गर जानी
बर्धन-सुरजीतो भी जुटलै, अजित सिंह के बगल चौटाला
विहिप, अकाली, शिव सेना भी, बजरंगे-चमकैलकै-भाला
आपनोॅ भोटवा सभ्भैं मांगलकै
दोसरा पर उड़वाय केॅ खिल्ली
पैल्होॅ मौका अटल जी पैलकै, कमलोॅ तरफें हाथ घुमैलकै
भाजपा केॅ जीतावै खातिर, हाथ नचैते भोट मांगलकै
लोगवा तेॅ सबरङा छेलै, अटल के बतिया बुझै नैं पारै
खाली लोगें हथवा देखै, बांकी बतिया सुन्हैं नैं पारै
सभ्भे नेतवां हाथे घुमावै, हाथ-जोड़ी के मांगै भोट
जैतें-अैतें-बोलतें, हथभै लैकेॅ मारै चोट
दिल्ली के भोटरें बूझलकै, बिन हाथोॅ के कमल बेकार
कचिया-हसुवा पकड़ै खातर, हाथे छै बड़का हथियार
येहेॅ बुझी केॅ दिल्ली बासीं, सोनिहैं हाथोॅ डोरी देलकै
दश साला बासी कमलोॅ केॅ, जमना जीं में बोरी देलकै
मिनी इन्डियां बरा करलकै
वेहे पुरनका शेख चिल्ली
छेलै, बिदेश अटल केॅ जाना, जाय गोधरा कान्ड गमलकै
गुजराती दंगा सें लागलेॅ, दिल्ली के हौ ‘हार’ देखलकै
सभ्भे बतबा उलट देखी केॅ, अटल जी होलै बहुत बेहाल
मगज भोथरोॅ काम करैनैं, यही सें उड़लै नैनीताल
कवि-हृदय फिन पिघले लागलै, केना देखैते दागी चेहरा
केना विदेशी धरतीं देतै, त्राण, देखी केॅ घाव ठो गहरा
कविता मन सें फूटेॅ लागलैन्ह, राजनीति ठो गेलैन्ह हेराय
मनमा सिसकै भीतरे-भीतर, दगा करलखैन आपन्है भांय
अन्तर रोये, आँख न रोये, सौंसे सपना गेलैन्ह हेराय
छलना सें भरलोॅ धरती पर, सपन्है हीं सच होलोॅ जाय
दूर बैठी केॅ कानै वाला
पहुंची गेलै फिन दिल्ली
एक गोधरा कांडें-लेकिन, सौंसे गुजराते धधकैलकै
मोदी केॅ हटवावै खातिर, आपन्है में फूटोॅ डलबैलकै
रामविलासें साथ छोड़लकै, ममथौं भी देलकी धमकी
फर्णांडिस ठो चुप्पे रहलै, फारूख देखी गेलै चमकी
चौबीस खम्भा वाला तम्बू, एक्है अन्हरें डोले लागलै
तेलगू देशम के धमकी पर, आपनोॅ गिनती तौले लागलै
दिल्ली सत्ता राखै खातिर, मायावती सें भांज बैठैलकै
लखनऊ सिंहासन बदली केॅ, आपनोॅ गद्दी लाज बचैलकै
सभ्भे तमासा देखी-सुनी, टिकट कटैलां घुरती बाला
डगमग देश केॅ कौने बचैतै, ठोरॉे पेॅ पड़लै बड़का छाला
सोनियां के जोरबाबै खातिर
गाड़ै छै बड़की ठो किल्ली
फगुआ के पनरैहाँ पैन्हें
बड़ी दिनोॅ पे गेलियै दिल्ली