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बड़े कवि से मिलना / अच्युतानंद मिश्र

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बड़े कवि से मिलना हुआ
वे सफलता की कई सीढियाँ चढ़ चुके थे
हम साथ -साथ उतरे
औपचारिकतावश उन्होंने मेरा हालचाल पूछा
फिर दो कदम बढ़े
और कहा चलता हूँ

हालाँकि हम कुछ दूर साथ साथ चल सकते थे
हम लोग एक ही ट्रेन के अलग डब्बों पर सवार हुए
उस दिन ट्रेन एक नहीं दो रास्तों से गुजरी.