बड़े भोले हो हँसते हो सुनके दुहाई / शैलेन्द्र

यह गीत मजरुह सुल्तानपुरी का है, शैलेन्द्र का नहीं

आ-आ-आ-आ-आ-आ-आ-आ-आ-आ
बड़े भोले हो...
बड़े भोले हो हँसते हो सुनके दुहाई
कनहाई कनहाई कनहाई
बड़े भोले हो

भागे हैं जग मेरी छाया से दूर
भागे हैं जग मेरी छाया से दूर
तन मन मेरा सबकी ठोकर से चूर
हिर-फिर के फिर तुमरे दर पे आई
हो-हो-हिर-फिर के फिर तुमरे दर पे आई
बड़े भोले हो... हो... बड़े भोले हो
हँसते हो सुनके दुहाई
कनहाई कनहाई कनहाई
बड़े भोले हो

जलते आँसू -जलते आँसू
जलते आँसू भीगे नयनों का हाल
देखा तो है सब कुछ तुमने गोपाल
फिर तुमरी अखियाँ हैं क्यूँ मुसकाई
हो-हो-फिर तुमरी अखियाँ हैं क्यूँ मुसकाई
बड़े भोले हो-ओ-बड़े भोले हो

कित जाऊँ ओ... ओ...
कित जाऊँ मैं मुख तो खोलो ज़रा
चोर बनके चुप क्यूँ हो बोलो ज़रा
अच्छी ये बंसी की होंठ लगाई
हो-हो...अच्छी ये बंसी की होंठ लगाई
बड़े भोले हो... ओ... बड़े भोले हो
हँसते हो सुनके दुहाई
कनहाई कनहाई कनहाई
बड़े भोले हो

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