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बड़े सपने मुसलसल हो गये हैं / कैलाश झा 'किंकर'
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बड़े सपने मुसलसल हो गये हैं
सभी दुश्मन तो पागल हो गये हैं।
तुम्हारी राह में पलकें बिछाए
प्रतीक्षा में विकल पल हो गये हैं।
सही क्या है ग़लत क्या है न बोलो
जो बोले थे वह घायल हो गये हैं।
बुरी हालत है मेरी कुछ दिनों से
बिना मौसम के बादल हो गये हैं।
अभी है और कोशिश की ज़रूरत
नहीं मसले सभी हल हो गये हैं।