भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो / मालवी
Kavita Kosh से
♦ रचनाकार: अज्ञात
भारत के लोकगीत
- अंगिका लोकगीत
- अवधी लोकगीत
- कन्नौजी लोकगीत
- कश्मीरी लोकगीत
- कोरकू लोकगीत
- कुमाँऊनी लोकगीत
- खड़ी बोली लोकगीत
- गढ़वाली लोकगीत
- गुजराती लोकगीत
- गोंड लोकगीत
- छत्तीसगढ़ी लोकगीत
- निमाड़ी लोकगीत
- पंजाबी लोकगीत
- पँवारी लोकगीत
- बघेली लोकगीत
- बाँगरू लोकगीत
- बांग्ला लोकगीत
- बुन्देली लोकगीत
- बैगा लोकगीत
- ब्रजभाषा लोकगीत
- भदावरी लोकगीत
- भील लोकगीत
- भोजपुरी लोकगीत
- मगही लोकगीत
- मराठी लोकगीत
- माड़िया लोकगीत
- मालवी लोकगीत
- मैथिली लोकगीत
- राजस्थानी लोकगीत
- संथाली लोकगीत
- संस्कृत लोकगीत
- हरियाणवी लोकगीत
- हिन्दी लोकगीत
- हिमाचली लोकगीत
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो
जई चोप्यो हो दसरथ दरबार
सहेली ऐ आंबो मोरियो
बड़ को गोड़ थरू थांबर हुई रयो
वाकी डाली हो गई असमान
सहेली ऐ आंबो मोरियो
बड़ की डाली जो डाली हीरा जड़िया
बड़ का पत्ता राज मोती रा लूम
बड़ खे देखन राम-लछमन आविया
उनका सांते हो तैतीस करोड़ देवता
बड़ खे देखन हो सीता माता आविया
उनका सांते हो राधा-रूकमारी जोड़
बड़ को बीज इन्द्रासन से आवियो
जई चोप्यो फलाणा राम दरबार
बड़ देखण आई उनका भाई-भतीजा री जोड़
बड़ देखण आई देराणी-जेठाणी री जोड़