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बडी मा / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
बडी मा नै
कुण कैह सकै
अणपढ
बडी मा
सामलै री
आंख्यां पढ’र
पिछाण ल्यै औकात
अर
बताद्यै
उण रै
मन री मांयली बात।