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बढ़ता गया हिसाब / मधुकर अस्थाना
Kavita Kosh से
मिला किसे उपचार
यहाँ माथे की सलवट का
बढ़ता गया हिसाब रात भर
सीली करवट का
ऊपर धुँवा आग
है नीचे पछुवा में तेजी
मिली न पाती खुशबू की जो
पुरूवा ने भेजी
खेल मदारी का है अपना
अभिनय मरकट का
बिके हुए सामन्त
सहायक सारे बाहुबली
जिन्दा बम के सम्मुख क्या
अल्ला बजरंग बली
देख रहे युग-युग से रंग
बदलना गिरगिट का
निर्भय तंत्र लोक
घायल है पंख विहीन परिन्दा
ऊपर बाज शिकारी नीचे
किस्मत से हैं जिन्दा
अभी न अप्रिय जीवन टालें
निर्णय लम्पट का