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बढ़ा दी है नैया तुम्हारे सहारे / रंजना वर्मा

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बढ़ा दी है नैया तुम्हारे सहारे ।
तुम्हीं से हैं जीते तुम्हीं से हैं हारे।।

कभी भी नदी के किनारे न मिलते
मिले नैन सरिता के लेकिन किनारे।।

पलक मूँद छवि कैद कर ली जो उसकी
उमड़ने लगे आँसुओं के हैं धारे।।

ठहर जाओ प्रियतम हृदय कोठरी में
बिछा दूँ मैं शैया पुतलियों की प्यारे।।

सुनाऊँ मधुर गीत मैं धड़कनों का
नज़र से तुम्हारी नज़र जो उतारे।।

रहोगे भला कब तलक दूर हमसे
करुण मन पपीहा तुम्हें ही पुकारे।।

कठिन है बहुत जिंदगानी हमारी
हैं पथ जिंदगी के तुम्हीं ने सँवारे।।