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बढ़े चलो जवान / शिवराज भारतीय
Kavita Kosh से
बांध शीश पर कफन
बढ़े चलो जवान,
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान
हिन्द की सरहद को
पार जा करे,
उसके शीश पर पलट
तू काल सा पड़े।
तुझसे होनहार पे,
हम सबको है गुमान।
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान
वीरों की धरा पे तूने
है लिया जन्म,
मां के वीर लाड़लो की
है तुझे कसम !
काल भी हो सामने,
उखड़ न पाए पांव।
आंधियो को मोड़ दे,
तू बन के तूफान। बढ़े चलो जवान