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बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़'
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बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ ।
किसी ने चारों तरफ़ कस दिया है जाल मियाँ ।।
सुना है सबसे तेरी गल रही है दाल मियाँ
तेरे ज़मीर की मुश्किल है देख-भाल मियाँ।
हमारे होते हुए ग़ैर ने तुझे लूटा
हमें ये जानके बेहद हुआ मलाल मियाँ ।
बदी है काम की शै तू उसे संभाल के रख
फ़िज़ूल चीज़ है नेकी कुएँ में डाल मियाँ ।
ख़ुशी मना तेरे बेटे ने तुझको बाप कहा
इसे भी कम न समझ ये भी है कमाल मियाँ ।
जो सीख पाओ तो खीसें निपोरना सीखो
कोई किचन हो गलेगी तुम्हारी दाल मियाँ ।
कर उसका शुक्र अदा सोज़ जिसने होठ सिए
बड़ा अज़ाब था करना कोई सवाल मियाँ ।।