भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ / कांतिमोहन 'सोज़'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बताएँ क्या तुम्हें कैसा है अपना हाल मियाँ ।
किसी ने चारों तरफ़ कस दिया है जाल मियाँ ।।

सुना है सबसे तेरी गल रही है दाल मियाँ
तेरे ज़मीर की मुश्किल है देख-भाल मियाँ।

हमारे होते हुए ग़ैर ने तुझे लूटा
हमें ये जानके बेहद हुआ मलाल मियाँ ।

बदी है काम की शै तू उसे संभाल के रख
फ़िज़ूल चीज़ है नेकी कुएँ में डाल मियाँ ।

ख़ुशी मना तेरे बेटे ने तुझको बाप कहा
इसे भी कम न समझ ये भी है कमाल मियाँ ।

जो सीख पाओ तो खीसें निपोरना सीखो
कोई किचन हो गलेगी तुम्हारी दाल मियाँ ।

कर उसका शुक्र अदा सोज़ जिसने होठ सिए
बड़ा अज़ाब था करना कोई सवाल मियाँ ।।