Last modified on 16 जुलाई 2020, at 22:49

बताओ तुम्हीं अब किधर जाऊँ मैं / कैलाश झा 'किंकर'

बताओ तुम्हीं अब किधर जाऊँ मैं
चलूँ साथ मंदिर कि घर जाऊँ मैं।

गुलाबी हँसी के महाजाल में
कहीं टूटकर ना बिखर जाऊँ मैं।

कभी तेरे घर को भी देखूँगा ही
तुम्हारे शहर को अगर जाऊँ मैं।

नज़र फेर लेना नहीं तुम कभी
अगर सामने से गुज़र जाऊँ मैं।

हमेशा यही दिल में ख़्वाहिश रहे
बड़े से बड़ा काम कर जाऊँ मैं।