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बताओ तो / असंगघोष
Kavita Kosh से
हे नर श्रेष्ठ!
तुम और तुम्हारा समुदाय
चौराहे पर मरे पड़े
सांड़
बिजली के तार से चिपक मरे
बंदर की ‘चकडोल’
कीर्तन करते, मंजीरे बजाते निकालने में
खुद ही
खूब गौरवान्वित होते हो, और
रास्ते में पड़ी
लावारिस इंसानी लाश देख
अपना मुँह बिचकाते
दो रुपया फेंक आगे बढ़ जाते हो
तुम्हें यह बर्ताव
तुम्हारा
कौन-सा धर्मग्रन्थ
सिखलाता है?