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बताया ही नहीं तुमको जहाँ के पार जाना है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
बताया ही नहीं तुम को जहाँ के पार जाना है।
नहीं सोचा जहाँ हो तुम वहीं हमको भी आना है॥
चले आओ कि अब तुम बिन कहीं भी जी नहीं लगता
किया तुम ने न आने का बहुत झूठा बहाना है॥
तुम्हारे साथ कोशिश की मगर चल ही नहीं पाये
तभी तो रह गये पीछे मिला जग में ठिकाना है॥
कभी भूले नहीं हम भी तुम्हारी मुस्कुराहट को
सजा गुलदान में दिल के हमें भी मुस्कुराना है॥
बहुत बेचैन करती हैं तुम्हारी प्यार की बातें
बगल में है रखा अब भी तुम्हारा वह सिरहाना है॥
अभी भी हृदय उपवन में विचरती याद की तितली
भ्रमर-बाला अभी भी गुनगुनाती वह तराना है॥
तुम्हारे बोल कर्णों के कुहर रस घोलते अमृत
तुम्हारे गीत ही अब इन लबों को गुनगुनाना है॥