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बदरी / राधेश्याम चौधरी
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बदरी गरजी-गरजी, बिजली कड़कै।
टीप-टीप-टीप पानी बरसै।
खेत खमार ताल-तलैया भरलै पानी।
धरती पेॅ ऐलै हरियाली, हरी रंग के चुनरी पिन्ही।।
गंदा पानी मेॅ करिकेॅ कुश्ती, मली-मली खुब्बेॅ नहैलौ।
टीप-टीप-टीप मधुर संगीत सुनैलेॅ मिल्लोॅ।।
मोर, दादर, पपीहा मिली केॅ गीत गावै छै।
सर-सर-सर हवा बही राग मिलावै छै।।
आबोॅ भैया सब्भै मिली कन्हा पेॅ होॅर लैकेॅ।
धरती माय रॉे अंचरा सेॅ फसल उगाबोॅ।।