भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बदलता रहता है पानी / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


गूँजे नहीं हैं न आवेग
खामोश कुण्ड में आ
मिलती है
पतली-सी धारा
कुछ देर ठहर कर
चट्टानों के बीच
सरक जाती है।

चुपचाप
बदलता रहता है पानी।

(1985)