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बदलाव / जितेन्द्र सोनी
Kavita Kosh से
बचपन में
मौहल्ले के अन्तिम छोर वाले
आरिफ दादाजी
पीट देते थे हमें
ट्रांसफार्मर के पास
खेलता देखकर
घूँघट निकाले खड़ी
मेरी माँ के सामने
करतार सिंह की लड़की की
शादी पर
सारी जिम्मेदारी सँभाली थी
मेरे पापा ने
मैं, हरप्रीत और सलीम
अक्सर खाते थे
हमारे घर पर ही खाना
मगर कुछ दिन पहले ही
हमें पता ही नहीं लगा
कब हो गई
हरप्रीत की लड़की की शादी
और कल तो
पड़ोसी सलीम की बीवी ने
मुझे बहुत बुरा भला कहा
जब मैंने
डांटा भर था उसके लड़के को
सिगरेट पीता देखकर
अब हम बन गये हैं
झाऊ चूहे
सचमुच जमाना बदल गया है !