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बदलाव / रोबेर्तो फ़ेर्नान्दिस रेतामार / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
1 जनवरी, 1959
हम, जो दोस्त बच गए हैं,
हम इस जीवन के लिए किसके देनदार हैं ?
मेरे लिए काल-कोठरी में किसने जान दे दी ?
मेरी ओर आ रही गोली को
किसने अपने दिल पर रोका ?
शहीद हुए लोगों में से किसकी वजह से मैं ज़िन्दा हूँ ?
मेरी हड्डियों में किसकी हड्डियों का दर्द समाया हुआ है ?
मेरी भौहों के नीचे से किसकी निकाल ली गई आँखें देख रही हैं ?
किसके हाथ से लिख रहा हूँ मैं ?
(आख़िर मैं किसी और के हाथ से लिख रहा हूँ।)
यह फटा हुआ शब्द यानी — मैं
बचा है उस आदमी से, जो मर चुका है ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय