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बदल गया सब / पूजा कनुप्रिया
Kavita Kosh से
बदल गया सब
मेरे जीवन में
तुम्हारे आने से
ना ...... बदला नहीं
जुड़ गया है कुछ
बहुत कुछ
अब दिलचस्पी ख़बरों में है
तुम्हारे शहर की
अख़बार का वो राशि वाला कॉलम
रोज़ पढ़ती हूँ उसे
और पढ़ती हूँ उसमें अब
एक राशि और
मानो यहीं से जान लेना चाहती हूँ
कैसा होगा तुम्हारा आज का दिन
क्या-क्या करोगे आज तुम
तुम भी तो देखते होगे न
एक राशि और
एक कप चाय और सुबह का सूरज
तुम भी इसी को देखते तो होगे सुबह-सुबह
सूरज में इक उम्मीद के साथ
मेरी सूरत