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बदल गया हरयाणा / दिनेश शर्मा
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					दादा दादी का
तड़के बख्ते उठ कै
न्हाणा धोणा
बालकां नै उठाणा
राम का ना लेणा
दादे का 
सारे बड़े छोट्या नै 
काके ताऊ अर बाबू तै 
दनभर के काम समझाणा
मां ताई काकी का
चून पीसणा
धार काढणा दूध बिलौणा
दादी की निगरानी मै
सारे काम निपटाणा
थारे याद सै अक ना 
यें सारी बात 
जिनतै होवै थी
संस्कारां की शुरुवात 
इब सूरज लिकडै पाछै उठणा
चा का कप पी कै
बिस्तर छोडणा
खा पीकै न्हाणा
दिनभर के काम निपटाणा
सारी बातां पाछै
दादी दादी के 
कमरे मैं जाणा
अक उनका उठ कै आणा
इस्सा लाग्गै जणूं
संस्कारां का 
कमजोर पडया ताना-बाणा
देख सोच कै लगा हिसाब
कितना बदल गया हरयाणा।
 
	
	

