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बदळाव / सांवर दइया
Kavita Kosh से
सुण भायला !
बै दिन गया
जद थारै आवण री खबर सुणतां ई
म्हारो मन करण लागतो थड़ी
अबै तूं आवै जणा
मुळक’र मिलूं तो सरी
पण मन में सोचतो रैवूं-
आछी अळबत गळै पड़ी ।