बदळाव / हरीश बी० शर्मा


समै रो बदळाव
प्रकृति रो जथारथ
अर काल आज में फरक
साफ निजर आवै
जद नेम बणग्यो बदळाव
तो किण खातर रोकां
बदळाव री नूंवी हवा नैं,
नेमां नैं कानून बणतै
कांईं देर लागै ?
ओ लोकतंत्र है
शासण आपणो
अठै कानून बणतैं नीं
लागतै देर लागै।

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