भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बद्दुआओं में भर कर दुआएं न दे / कुमार नयन
Kavita Kosh से
बद्दुआओं में भर कर दुआएं न दे
प्यार को ओढ़ने की कबाएं न दे।
दर्द मेरे हैं रहने दे मुझ तक उन्हें
अहले-दिल को बता कर सज़ाएं न दे।
जल रहा है मिरा दिल तो तू मत बुझा
बस करम इतना कर कि हवाएं न दे।
लौट आएं न हम बीच ही राह में
इतनी खामोशियों से सदाएं न दे।
मर न जाऊं खुशी से ही तेरी क़सम
मेरे महबूब इतनी वफाएं न दे।
बेक़रारी न दीदारे-आशिक़ की हो
दिलबरों को ख़ुदा ये खताएं न दे।
कोई किस्सा सुना या ग़ज़ल गुनगुना
नींद आने की हमको दवाएं न दे।