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बनना है तो... / सूर्यकुमार पांडेय

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बनना है तो चाँद बनें,
शीतलता बिखरा दें हम ।
बनना है तो पवन बनें,
घर-घर मस्ती ला दें हम ।

बनना है तो धूप बनें,
सबमें गरमाहट भर दें ।
बनना है तो मेघ बनें,
धरती पर बारिश कर दें ।

बनना है तो फूल बनें,
सभी ओर ख़ुशबू बिखरे ।
बनना है तो रूप बनें,
जो हर रोज़ नया निखरे ।

अगर चाहते हैं दुनिया में,
हम भी बड़े-महान बनें ।
उसकी पहली शर्त यही है,
हम अच्छे इनसान बनें ।