भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बनारस-5 / निलय उपाध्याय
Kavita Kosh से
गंगा राजनीतिक नदी है
लोकतन्त्र से गहरा रिश्ता है उसका
अपने समय की महान् राजनीति थी
गंगा के धरती पर उतरने की वजह
और उससे भी महान
राजनीति थी
उतरने की प्रकिया
इतना बडा संसार रचने के बाद
सबकी प्यास बुझाने के बाद
इतनी सारी नदियों के साथ
इतमिनान से
समुद्र से जा मिलना
यह तो गजब की राजनीति है
गंगा का राजनैतिक अतीत है
गंगा राजनीति का वर्तमान है
और भविष्य भी
इस घोर अराजनीतिक समय में
राजनैतिक दृष्टि के लिए जाना चाहिए
पहाड़ पर और मैदान में
गंगा के पास
गंगा शिव की जटाओं से निकली है
शिव
जो अभी बनारस में है
बनारस की राजनीति होनी चाहिए
यह मिथकों के टूटने का समय है ।