भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बना के गीत / 26 / राजस्थानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

लाला सूत जी सुख भर नींद जगाया लाला न जागे जी,
बांका दादा सा लीन जगाय, चालो न कंवरा परणबा जी,
मारी बनी सा रे ल्याओ रमझोल, तेजल ल्याओ ही सती जी,
लाला देश फर्या र परदेस, तेजल घोड़ी न मिली जी,
दादासा रुपिया खर्चो हजार, तेजल हरिया बाग म जी,
बाबा सा रूपिया खर्चो हजार, तेजल ऊबी बारण जी।