भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बना के गीत / 9 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
प्यारा बन्नासा को सुसराल जाना पड़ेगा,
साथ में बनड़ी को लाना पडे़गा
तांबे के हण्डे में शीतल सा पानी,
साबुन की करूं मनवार, बन्ना सा आपको नहाना पड़ेगा।
प्यारा बन्नासा को सुसराल जाना पड़ेगा,
साथ में बनड़ी को लाना पडे़गा
सोने की थाली में भोजन परोसा,
घेवर की करूं मनवार, बन्ना सा आपको खाना पड़ेगा।
प्यारा बन्नासा को सुसराल जाना पड़ेगा,
साथ में बनड़ी को लाना पडे़गा
चंदा की चांदनी में चौपड़ बिछाई पासा की करूं मनवार,
बन्ना सा आपको खेलना पडे़गा।
प्यारा बन्नासा को सुसराल जाना पड़ेगा,
साथ में बनड़ी को लाना पडे़गा।