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बनिया होने के माने हैं / मुकेश जैन

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बनिया होने के माने हैं
चोर और कमीना होना
एक गँवार आदमी होना
जो जिन्दगी जीना नहीं जानता है

खूबसूरत लड़कियाँ बनियों के लिए
                       नहीं होतीं हैं
और बौद्धिकों के लिए तो बनिया
       बात करने के काबिल भी नहीं

बनिया होने के माने हैं
जिन्दगी ढोना
             कोई बाप सीधा रुख नहीं करता है
        बनियों की तरफ़
क्लर्कों के बाद आती है बनियों
की औकात

बनिया होने के माने हैं
अयोग्य होना
प्रगतिशीलों के लिए अछूत

मैं बनिया हूं और कविता लिखता हूँ .

_______21/03/1992