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बनियों ने समाजवाद को जोखा है / शमशेर बहादुर सिंह

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बनियों ने समाजवाद को जोखा है

गहरा सौदा है काल भी चोखा है

दुकानें नई खुली हैं आज़ादी की

कैसा साम्राज्यवाद का धोखा है !