राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी के बाबा वर ढूंढने निकले, दादी खड़ी उदास
न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी के ताऊ वर ढूंढने निकले, ताई खड़ी है उदास
न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी के पापा वर ढूंढने निकले, मम्मी खड़ी हैं उदास
न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी के फूफा वर ढूंढने निकले, बुआ खड़ी हैं उदास
न जाने वर कैसा मिलेगा
बन्नी मेरी चन्द्रकला सी, न जाने वर कैसा मिलेग।