भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बनी के गीत / 9 / राजस्थानी
Kavita Kosh से
राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी दादी ने बो दई क्यारियां
तेरे दादा सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी ताई ने बो दी क्यारियां
तेरे ताऊ सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी मामी ने बो दी क्यारियां
तेरे मामा सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी भाभी ने बो दी क्यारियां
तेरे भाई सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी नानी ने बो दी क्यारियां
तेरे नाना सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां
तेरी चाची ने बो दी क्यारियां
तेरे चाचा सींचे लोटे झारियां
बोई बोई सुहागों की क्यारियां