बनी रहीं माँएँ हमारी, कैसी बेचारी सी निरीह प्यारी,
बहनें हमारी खनकती रहीं बन जीवन भर रमणीय सुकुमारी,
खनकती है आज भी हमारे कानों में उनकी अनमोल यादें,
“सुनो, सीखो न जैसे हमने सीखा ज़िन्दगी में अपने आप से,
और तपती रहीं अपने नियमों में बँधकर कर्म पथ पर,
चलती रहो जैसे हम चलती रहीं अपने विश्वास के बल पर,
और जलाती रहीं, पीड़ा तले भी अपनी उम्मीदों का दिया,
धूप में सहमती रहीं और जंग में करती रहीं खुद पे भरोसा”
नहीं पता कि हमें देख भी पाती होंगी या नहीं वे,
पर अगर वे देखती होंगी हमें पीड़ा से मिलते हुए,
तो स्वर्ग से धरा पर कैसे आती होगी उनकी नज़र,
क्या नहीं बहते होंगे आंसू, प्यारी आँखों से टूटकर
ओह, प्रसन्न आँखें! जिनके आँसू सूख चुके हैं,
फिर चाहे तुम हमें देख सको या नहीं!
मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : सोनाली मिश्र
और अब पढ़िए कविता मूल अँग्रेज़ी में
Our Mothers
Our Mothers, lovely women pitiful;
Our Sisters, gracious in their life and death;
To us each unforgotten memory saith:
"Learn as we learned in life's sufficient school,
Work as we worked in patience of our rule,
Walk as we walked, much less by sight than faith,
Hope as we hoped, despite our slips and scathe,
Fearful in joy and confident in duel."
I know not if they see us or can see;
But if they see us in our painful day,
How looking back to earth from Paradise
Do tears not gather in those loving eyes?
-- Ah, happy eyes! whose tears are wiped away
Whether or not you bear to look on me.