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बन्दे पै इतनौ एहसान करें साहब / नवीन सी. चतुर्वेदी

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बन्दे पै इतनौ एहसान करें साहब।
नजर जोर कें इस्माइल बखसें साहब॥

बाट निहारतु ए कब सूँ मन की मेहराब।
अब तौ जा पै बन्दनवार लगें साहब॥

हम तौ कब सूँ सेहरा बाँधें बैठे हतें।
आज कहौ तौ आज इ माँग भरें साहब॥

धुर सूँ लै कें एण्ड तलक मीटिंग-मीटिंग।
दफ्तर छूटै तौ कछ काम करें साहब॥

बचत बचाबैगी हम कूँ सच्ची ए मगर।
महँगाई में का इनबेस्ट करें साहब॥