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बन्धुवर कोन बाट दुनियाँ जा रहल छै / बाबा बैद्यनाथ झा

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बन्धुवर कोन बाट दुनियाँ जा रहल छै
सत्य कानय, झूठ कीर्त्तन गा रहल छै

चारू दिस अपकर्मकेर साम्राज्य छै
जे करैछ सत्कर्म सभ दुःख पा रहल छै

जे खटैत अछि से मरैछ भूखल एतऽ
पाखंडी आ दुष्ट बैसल खा रहल छै

जे बहुत धर्मी कहय से सभ चोर छै
जे करय षड़यन्त्र सभसँ छा रहल छै

जे खुनौलक ओतेक पोखरि आ इनार
से पियासल रातिदिन मुँह बा रहल छै

थिकै ई प्रगति चारि दिनकेर बाढ़िसन
फेर ‘बाबा’ मास गर्मीक आ रहल छै