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बन्ना तो हांडे अपने बाबा जी की गलियां / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
बन्ना तो हांडे अपने बाबा जी की गलियां
दादी तो फिरै रहसी रहसी रे महल में
सेर मोती बारूं जी बन्ने पै
मोती भी वारूं मैं तो हीरे भी वारूं
सेर मोती...
बन्ना तो घूमै अपने बाबुल की गलियां
अपने चाचा की गलियां
अम्मा चाची फिरें रहसी रहसी रे
सेर मोती...
बन्ना तो आया अपने मामा की गलियां
अपने फूफा की गलियां
मामू बुआ फिर हुलसी हुलसी रे
सेर मोती...