भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बन्ना बुलाए बन्नी नही आए / हिन्दी लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बन्ना बुलाए बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी
कैसे आऊं बनना ससुर जी खड़े है पायल मेरी बजती है
लम्बा घूँघट डाल के पायल उतार के
चली आओ बन्नी रे अटरिया सूनी पड़ी है

बन्ना बुलाए बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी
कैसे आऊं बनना जेठ जी खड़े है चूड़ी मेरी बजती है
लम्बा घूँघट डाल के चूड़ी उतार के
चली आओ बन्नी रे अटरिया सूनी पड़ी है

बन्ना बुलाए बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी
कैसे आऊं बनना देवर जी खड़े है झूमका मेरा बजता है
लम्बा घूँघट डाल के झूमका उतार के
चली आओ बन्नी रे अटरिया सूनी पड़ी है

बन्ना बुलाए बन्नी नहीं आए
आजा प्यारी बन्नी रे, अटरिया सूनी पड़ी
कैसे आऊं बनना ननदोई जी खड़े है बिछुआ मेरी बजती है
लम्बा घूँघट डाल के बिछुआ उतार के
चली आओ बन्नी रे अटरिया सूनी पड़ी है