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बन्नी सजो न जल्दी सजन आये हैं / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बन्नी सजो न जल्दी सजन आए हैं-२
तेरे माथे का टीका वो खुद लाए हैं
अपने हाथों से तुझको पहनाने आए हैं
बन्नी पहनो न जल्दी से टीका सजन आए हैं

बन्नी सजो न जल्दी सजन आए हैं-२
तेरे कानों का झुमका वो खुद लाए हैं
अपने हाथों से तुझको पहनाने आए हैं
बन्नी पहनो न जल्दी से झुमका सजन आए हैं

बन्नी सजो न जल्दी सजन आए हैं-२
तेरे हाथों का कंगना वो खुद लाए हैं
अपने हाथों से तुझको पहनाने आए हैं
बन्नी पहनो न जल्दी से कंगना सजन आए हैं

बन्नी सजो न जल्दी सजन आए हैं-२
तेरे पैरों का बिछुवा वो खुद लाए हैं
अपने हाथों से तुझको पहनाने आए हैं
बन्नी पहनो न जल्दी से बिछुवा सजन आए हैं

बन्नी सजो न जल्दी सजन आए हैं-२
तेरी शादी का जोड़ा वो खुद लाए हैं
अपने हाथों से तुझको पहनाने आए हैं
बन्नी पहनो न जल्दी से चूनर सजन आए हैं