बबा टोरे मुनगा अंगसी में / पीसी लाल यादव

बबा टोरे मुनगा अंगसी में,
बूढ़ी-दाई खड़े हे संगसी में।

ले-दे के सिध परिस बुता देवरिहा,
मांघ म मंछली बहू होगे छेवरिहा।

उकुल-बुकुल जीव फंगसी में,
बूढ़ी-दाई खड़े हे, संगसी में।

बारी-बखरी के रखिया ल करो के,
बूढ़ी दाई राखे हे बरी ल सुखो के।

पीठी उरिददार खंगती में,
बूढ़ी दाई खड़े हे, संगसी में।

का कहिबे सवाद मुनगा-बरी के?
चुहके में मजादार, सरपट तरी के।

जिनगी लामे मया लमती में,
बूढ़ी-दाई खड़े हे संगसी में।

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