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बया का घोंसला / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
भाई बया
सचमुच
बहुत सुन्दर है
तुम्हारा घोंसला
...होगा, बनाया होगा मेहनत से
मैंने तोड़ लिया
सजाना था कमरा।
मुझे मालूम है
कि तुम
मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते
कोई कानून भी नहीं
जो मुझे
सज़ा दे सके।
यूँ
मेरी मर्जी के खिलाफ़
अब तुम्हारे घोंसले को
कोई हाथ तो लगाकर देखे।