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बरखा की हिलोरें / निशा माथुर

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रिमझिम रिमझिम बरखा की हिलोरें
गिरती बूंदें तन पर भङका रही शोले

छनक छनक छन यूं घुंघरवा बोले
निरखत नैन-नैन चितवन हिय डोले

धिनक धिनक धिन धा, हौले हौले
तबले की धाप चंद्रमुख तन डोले

खनन खनन खन पिया कंगना बोले
उन्मुक्त-सी स्मित के राज सब खोले

झमझम झमझम घनघोर घटायें डोलें
अंगङाई ले मौसम मनवा ले हिचकोलें

सनन सनन सन पुरवइयाँ चहुं डोले
मेघदूत संग प्रिय की चिट्ठियाँ खोले

रूनक रूनक झुन-झुन पायलिया बोले
रिदम की ताल थिरकत तनमन हौले

झरझर झरझर मेरा कजरा बहे डोले
बूंद बूंद विरह चक्षुजल नैनों में घोले