बरतूही करके चांदो को लौटना / बिहुला कथा / अंगिका लोकगाथा
होरे करी बरतूही रे चांदो चलले बरु जाय रे।
होरे छवो घाटी केर वैर साधे मैना बिषहरी रे॥
होरे गेली अगुआए हे माता मैना बिषहरी रे।
होरे आयतो जुमली हे माता चांदो के आवास हे॥
होरे ब्राह्मण रूप हे माता करी बरु लेले हे।
होरे सोनिका के आवे हे माता देल दरशन हे॥
होरे बोले लगती हे माता सोनिका आवे गे।
होरे भेले बरतूही गे सोनिका बालकेर आवे गे॥
होरे कन्ता के छहगे सोनिका ऊँच तो कपार गे।
होरे आरी जे छेंदगे सोनिका चौरल जे दांत गे॥
होरे तवे दोष छुट तेगे सोनिका भेददिओ बतलाईगे।
होरे कारजे खोपड़ी गे सोनिका करब तैयार गे॥
होरे खड़ सुप खुटिया जे वोढ़ करब तैयार गे।
होरे जखनी आयते हे सोनिका चांदो सौदागर गे॥
होरे आइतेही मारबे गे सोनिका कारजे खोपड़ी गे।
होरे सब मो मारबे गे सोनिका खड़जे सुपाटगे॥
होरे तवे तो लागबो गे सोनिका कन्याकेर आबेगे।
होरे एतना कहाये हे माता अलोपित भयेगेली गे॥
होरे सोनापुर घाट हे माता झुमरी खेलावे हे।