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बरबर बरबर लाग रहति है / बोली बानी / जगदीश पीयूष

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रासन की सक्कर पी गे
सब घरहेके कोटेदार
गाड़िन ऊँख लइगवै हमते
टका सेरु सरकार

तिथि त्यौहारु मनाई की विधि-
लरिका खाँय मिठाई
गड़ु राबौ का नहीं ठेकाना
इसे सालु बिताई
पानी-पत्ता बिना दुबारा
मिलै न नातेदार

सक्कर बिना छोटकई बिटिया-
की कस चढ़ी बरात
कहा सुनी भै परधानौ ते
बिगरि चुकी है बात
दूना भाव लगाये बनिया
छूरी लिहे तयार