भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बरवै रामायण / तुलसीदास / पृष्ठ 13
Kavita Kosh से
( बरवै रामायण उत्तरकांण्ड/पृष्ठ-3)
( पद 56 से 60 तक)
तुलसी सुमिरत राम सुलभ फल चारि ।
बेद पुरान पुकारत कहत पुरारि।56।
राम नाम पर तुलसी नेह निबाहु।
एहि ते अधिक न एहि सम जीवन लाहु।57।
दोस दुरित दुख दारिद दाहक नाम।
सकल सुमंगल दायक तुलसी राम।58।
केहि गिनती मह गिनती जस बन घास ।
राम जपत भए तुलसी तुलसीदास।59।
आगम निगम पुरान कहत करि लीक ।
तुलसी राम नाम कह सुमिरन नीक।60।
(इति बरवै रामायण उत्तरकांण्ड/ पृष्ठ 3)