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बरसे ना अदरा के पानी / विनय राय ‘बबुरंग’

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बरसल ना बदरा पानी बीति गइल अदरा गुमानी।
इन्द्र जी क कइसन करदानी कहीं सूखा कहीं पानी।।
कुइयां क पनियां पताल धई दिहलस
बैरी रे बदरवा बेहाल कई दिहलस
बरसे ना चिरुवो भर पानी हमरा संग हाला बेइमानी
बरसल ना बदरा से पानी बीति गइल अदरा गुमानी।।

कहिया ले होई भोर हरियर सिवनियां
पास नाहीं फेल हो रहल बा किसनियां
लुहवा बहेला मनमानी आड़ धई लेइलां दलानी
बरसल ना बदरा से पानी बीति गइल अदरा गुमानी।।

नहरिया क पनियां हो गइल सपनवां
बचल फसलिया क हो गइल दहनवां
धुआँ नाहीं उठीहें चुहानी महंग होइहंे नूनवों दुकानी
बरसल ना बदरा से पानी बीति गइल अदरा गुमानी।।

केतनो चलाईं हम डीजल नलकूपवा
भर नो दरार लउके काल अस रुपवा
केहू क बाटे चानी पर चानी हम त सहीलां परेसानी
बरसल ना बदरा से पानी बीति गइल अदरा गुमानी।।